शराबबन्दी को सफल बनाने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने खोल दिया है सरकारी खजाने का मुँह
शराबबन्दी को सफल बनाने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने खोल दिया है सरकारी खजाने का मुँह
ड्रोन, हेलीकॉप्टर, मोबाइल स्कैनर गाड़ियों के बाद, अब शराब पकड़ने के लिए सरकार ने 5 सेटेलाईट फोन खरीदा
अर्थप्रकाश / मुकेश कुमार सिंह
पटना (बिहार) : बिहार में शराबबन्दी की वजह से राज्य का विकास और सामाजिक धरा बिल्कुल बेपटरी हो गया है। लेकिन बिहार के सीएम नीतीश कुमार की जिद है कि बिहार का सरकारी खजाना खाली हो जाये, या फिर सरकार का मजबूत तंत्र अपनी प्रासिंगता और मौजूदगी गंवाने लगे लेकिन वे शराबबन्दी कानून को सफल बना कर रहेंगे। गौरतलब है कि बिहार में शराब पकड़ने के लिए राज्य की पूरी पुलिस लगी हुई है। शराब ढ़ूढ़ने के लिए खोजी कुत्ते मंगवाये गये हैं। ड्रोन और हेलीकॉप्टर उड़ा कर शराब के ठिकाने की तलाश की जा रही है। 100 करोड़ खर्च कर के 5 मोबाइल स्कैनर गाड़ी मंगाई जा रही है। इतने के बाद अब, सुदूर इलाकों में शराब के धंधेबाजों पर नजर रखने के लिए अब सेटेलाईट फोन की खरीददारी कर के शराब कारोबारी, शराब की खेप के ठिकाने और उसकी बिक्री पर नजर रखी जायेगी। दीगर बात है कि बिहार में शराब के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। सेटेलाईट फोन के जरीये शराब की अवैध भट्ठियों को ध्वस्त करने के लिए दियारा, जंगल और सुदूर इलाकों में छापेमारी की जाएगी। विभाग ने इसके लिए अभी 5 सेटेलाईट फोन खरीदा है।
जंगल, पहाड़ी, दियारा और सुदूर ग्रामीण इलाकों में छापेमारी के दौरान पुलिस और उत्पाद विभाग की टीम को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन इलाकों में मोबाइल नेटवर्क नहीं रहने के कारण छापेमारी टीम को परेशानी हो रही थी। इसी समस्या को देखते हुए मद्य निषेध विभाग ने 5 सेटेलाइट फोन खरीदा है। इसका इस्तेमाल करने की रणनीति बनायी गयी है। पुलिस टीम को बातचीत करने में कोई परेशानी ना हो, इसे लेकर विभाग ने सेटेलाईट फोन का उपयोग करने का फैसला लिया है। मिली जानकारी के अनुसार, एक सेटेलाईट फोन की कीमत करीब डेढ़ लाख रुपये है। सेटेलाईट फोन में इनकमिंग और आउटगोइंग दोनों के लिए ही राशि का भुगतान करना पड़ता है। इसका कॉल रेट 18 रुपया प्रति कॉल आता है। दियारा और पहाड़ी इलाके में निगरानी में ड्रोन और हेलीकॉप्टर की मदद ली जा रही है। नदी में गश्ती के लिए मोटरवोट को उतारा गया गया है अब सेटेलाईट फोन का इस्तेमाल करने की रणनिती विभाग ने बनायी है। विभाग का कहना है कि सेटेलाईट फोन इन इलाकों में छापेमारी के दौरान कारगर साबित होगा। छापेमारी दस्ते को अब कम्युनिकेशन में किसी तरह की परेशानी नहीं आएगी। 100 करोड़ खर्च कर के 5 मोबाइल स्कैनर गाड़ी भी मंगवाई जा रही है। इतनी कोशिशों के बाद भी, बिहार के लोग शराब का अवैद्य कारोबार करने और उसे पीने से बाज नहीं आ रहे हैं। जाहिर तौर पर, बिहार में तू डाल-डाल, तो मैं पात-पात का खेल चल रहा है। शराबबन्दी, बिहार में कोढ़ साबित हो रही है।